सादर अभिनन्दन...


सादर अभिनन्दन...

Tuesday, August 30, 2011

सोचता हूँ...

सोचता हूँ   बूँद  बन  कर  चूम  लू  मैं  लब   तेरे,
सोचता  हूँ  भींग  जाऊ  प्यार  में  फिर  संग  तेरे,
या  तुम्हे  बाहों  में भर  के  भूल  जाऊ ये  जहां,
पर  कही  तू  रूठे  ना  और  ख्वाब  ना टूटे  मेरे

4 comments:

  1. behtareen bhai...bahut hi dilkash likha h ....

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  2. सादर धन्यवाद...

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  3. fir se kahunga laajawaab....mithaas bhara....

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद...
    आप फिर आये है, आभार !

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