सादर अभिनन्दन...


सादर अभिनन्दन...

Wednesday, August 03, 2011

रेल...

गुजरती है  लीक  पकड़ ,
अनवरत  चलती  जाती ,
किसी   की  परवाह किये बिना ,
जैसे किसी  के  इंतजार  में  बेताब ,
बस  भागती  जाती  है ...
क्या  गावं  क्या  शहर ,
अपनी  मंजिल  तलाशती ,
चलती  एक  अनवरत  प्रवाह  की  तरह ...

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