सादर अभिनन्दन...


सादर अभिनन्दन...

Saturday, August 06, 2011

फिर तमन्ना सी मचली है...

फिर तमन्ना सी  मचली है  आज ,
किताबो  से  तार्रुफ़  करने  की ...,
फिर  ख्वाहिश  हुई है  आज ,
अल्फाजो  से  गुफ्तगू करने  की ...,
एक  टीस सी  उठी  है  जब ,
धूल  भरे  पन्नो  को  देखा ..,
एक  तकलीफ  सी  हुई  मन  में ,
जब उनका दर्द  महसूस  किया ...,

टूट  गया  मन  सोच  के  ये ,
क्या  ये  वही  किताबे  है ...,
क्या  मै शक्श  वही  हूँ ,
जिसने  अल्फाजो   से  प्यार  किया ...,
यूँ  ही  बस  इसलिए  आज ,
फिर  तमन्ना  सी  मचली  है ,
फिर  ख्वाहिश  हुई  है  आज ...

.........................................M@n!$}{

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