सादर अभिनन्दन...


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Sunday, August 26, 2012

भारतीय शिक्षा पद्धति

भारतीय शिक्षा पद्धति भी अजीब है।  हमारे यहाँ आर्थिक स्थिति के हिसाब से ये तय किया जाता है कि लड़का क्या पढ़ेगा? जी हाँ लड़का क्योकि आज भी समाज का एक बड़ा हिस्सा यही सोच रखता है।  कुछ संभ्रांत परिवार ही हैं जो अपनी लड़कियों को इंजीनियरिंग या मेडिकल की शिक्षा दिलाते है।  निम्न मध्यम वर्गीय परिवार तो आज भी लडकियों को या तो उच्च शिक्षा नही दिला पाते या दिलाते भी है तो बस एक शिक्षिका बनने के लिए।  इसका कारण तो हम सभी जानते हैं, अब देखना यह है की यह सार्वभौम अंतर कम समाप्त होने वाला है।
    मैं बात कर रहा था आर्थिक स्थिति और शिक्षा की। जी हाँ, हमारे देश में 10वीं के बाद का दाखिला इस बात पर निर्भर है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि कितनी सुदृढ़ है।  कुछ साल पहले की बात करे जब हमारे समाज में तीन वर्ग हुआ करते थे:  उच्च-वर्ग, मध्यम-वर्ग और निम्न वर्ग, तब केवल उच्च-वर्ग ही मेडिकल की शिक्षा के लिए सक्षम माना जाता था। और यही वर्ग अपने पाल्यों को 12वीं में जीव-विज्ञान की शिक्षा दिलाता था। मध्यम वर्गीय छात्र गणित पढ़ने को विवश थे। और निम्न वर्ग संभवतः साक्षर होकर ही संतुष्ट था। परन्तु आज समाज में चार वर्ग है, मध्यम वर्ग के दो हिस्से देखे जा सकते है, उच्च मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग।  और आज शिक्षा इतनी महँगी हो गयी है कि केवल उच्च वर्ग ही उसका भार वहन  करने में सक्षम है।  और उच्च मध्यम वर्ग किसी तहर से धक्का लगाकर अपने पाल्यों का दाखिला ही करा पता है, उसके आगे के खर्च में उसकी कमर टूट जाती है। इसके बाद शिक्षा के सन्दर्भ में दोनों निम्न वर्गों की बात भी करना... ।

3 comments:

  1. shai kaha per ise abhi badla bhi nahi ja sakta

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  2. :)achcha vishay manish ji.........wese yaha sach kaha hai...bhartiya vyavastha me adhiktar cheeze paisa hi tay karta hai.......parantu ek varg se dusre varg me aana insaan ke parishrm par nirbhar karta hai......

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    1. सार्थक पोस्ट , आभार .
      कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें .

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