सादर अभिनन्दन...


सादर अभिनन्दन...

Wednesday, August 22, 2012

दीवाना जियेगा सदा मुस्कुरा कर...

आहिस्ता  आहिस्ता  कब  तक  ये  वहशत,
दिल  से  लगा कर, लबो  में  छिपाकर ,
दीवाना  बनाकर  रुलाया  हँसा  कर,
कुरेदा  है  मुझको  क्यों  इतना  सताकर...

मै  कहता   रहा  कि बस  कुछ  देर  रुक  जा,
मेरा  दिल  सम्हाल  जाये  तब  तक  ठहर  जा,
नमीं   सुख  जाएगी  पलकों  की  तब  तक ,
चले  जाना  फिर  तुम  जरा  मुस्कुरा  कर ...

मुड  कर  चली  वो  मुझे  छोड़  कर  यूँ ,
रहती  थी  जिसमे  वो  दिल  तोड़  कर  यूँ,
जो  सोचा  ही  होता  अगर  भूल  कर  भी,
तो  जाना  ही  पड़ता  निगाहें  चुरा कर....

कहा  जाते  जाते  अब  नहीं  प्यार  तुमसे,
वादा  करो  तुम  मिलोगे  ना  मुझसे,
करूँ   कैसे  वादा  उन्हें  भूलने  का,
जो  मिलते  थे  हमसे  बाहे  फैला  कर....

रोकू  भी  कैसे  उन्हें  चाह  कर  भी,
बेबस  बहुत  हूँ   मुहब्बत  है  अब  भी,
जाते  हो  जाओ  मुझे  भूल  जाना ,
दीवाना  जियेगा  सदा  मुस्कुरा  कर...

---- नवीन-मनीष

4 comments:

  1. खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |

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    1. 'आहुति' जी, ये मेरा और मेरे मित्र का युगल प्रयास है...
      आपकी सराहना के लिए आभार...

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