सादर अभिनन्दन...


सादर अभिनन्दन...

Thursday, February 09, 2012

कभी ...

कभी डूबे तो तिनको ने दिया था हाथ बढ़कर के,
     कभी कश्ती में थे फिर भी लहरों से मात खायी है...
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कभी ग़म से घिरे थे फिर भी हसीं ने साथ ना छोड़ा,
     कभी खुशियों की महफ़िल में भी आँखें डबडबाई है...


( कुछ पंक्तियाँ एक मेरी एक कविता से जो मेरे अंतर्मन में है ...)

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