फिर तमन्ना सी मचली है आज ,
किताबो से तार्रुफ़ करने की ...,
फिर ख्वाहिश हुई है आज ,
अल्फाजो से गुफ्तगू करने की ...,
एक टीस सी उठी है जब ,
धूल भरे पन्नो को देखा ..,
एक तकलीफ सी हुई मन में ,
जब उनका दर्द महसूस किया ...,
टूट गया मन सोच के ये ,
क्या ये वही किताबे है ...,
क्या मै शक्श वही हूँ ,
जिसने अल्फाजो से प्यार किया ...,
यूँ ही बस इसलिए आज ,
फिर तमन्ना सी मचली है ,
फिर ख्वाहिश हुई है आज ...
.........................................M@n!$}{
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