गुजरती है लीक पकड़ ,
अनवरत चलती जाती ,
किसी की परवाह किये बिना ,
अनवरत चलती जाती ,
किसी की परवाह किये बिना ,
जैसे किसी के इंतजार में बेताब ,
बस भागती जाती है ...
क्या गावं क्या शहर ,
अपनी मंजिल तलाशती ,
चलती एक अनवरत प्रवाह की तरह ...
क्या गावं क्या शहर ,
अपनी मंजिल तलाशती ,
चलती एक अनवरत प्रवाह की तरह ...
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