वो तो उसके नाम का भरम रखना था वरना ,
तन्हाइयों से ज़फ़ा करना हमारी फितरत नहीं ...
यूँ अकेले पन में जिंदगी जीने की तमन्ना तो नहीं,
महफ़िलों में जाते रहे इतनी फुर्सत भी नहीं...
तन्हाइयों से ज़फ़ा करना हमारी फितरत नहीं ...
यूँ अकेले पन में जिंदगी जीने की तमन्ना तो नहीं,
महफ़िलों में जाते रहे इतनी फुर्सत भी नहीं...
बहुत ही अच्छी....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार...
ReplyDeletemujhe samjh men aayi nahin.. par interesting and kaafi deep thought lag rahe hain.. sry
ReplyDeleteअपने पढ़ा उसके लिए शुक्रिया...
ReplyDelete