अभिव्यक्ति...
...शब्दों में संवेदना की !
सादर अभिनन्दन...
सादर अभिनन्दन...
Thursday, July 12, 2012
कभी खुद से कभी ग़मो से लड़ा हूँ आज तक,
मैं भी इंसान हूँ, मुझे भी थकान होती है...
--- मनीष
Sunday, July 08, 2012
चंद लमहों की तो उमर अता की है उसने हमे
रकीब-हबीब कौन है सोचने को वक़्त कहाँ है!!
चंद लोग ही तो है जिनसे तन्हाईयाँ गुफ्तगू करती है,
वही जानते है कि क्यों करती है, क्या करती है...!!
---मनीष
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