कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ,
कुछ शब्द गढ़े हम भावों के,
प्रेम के हो अरमानो के कुछ,
लफ्ज़ बहें कुछ आहों के,
कहते-सुनते यूँ ही हँसते,
काटें चुन ले सब राहों के,
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ,
जी लें यूँ ही कुछ पल यादों के...!!
--- मनीष :)
कुछ शब्द गढ़े हम भावों के,
प्रेम के हो अरमानो के कुछ,
लफ्ज़ बहें कुछ आहों के,
कहते-सुनते यूँ ही हँसते,
काटें चुन ले सब राहों के,
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ,
जी लें यूँ ही कुछ पल यादों के...!!
--- मनीष :)
वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया सुषमा जी...
Deleteek gana yaad aa raha ahai " yaadon ke sab jugnu jungle mein rahte hain"
ReplyDeletebahut dino ke baad aapko apne blog par aaya dekh bahut khushi hui,
Deletebahut bahut shukriya :)