कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ,
कुछ शब्द गढ़े हम भावों के,
प्रेम के हो अरमानो के कुछ,
लफ्ज़ बहें कुछ आहों के,
कहते-सुनते यूँ ही हँसते,
काटें चुन ले सब राहों के,
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ,
जी लें यूँ ही कुछ पल यादों के...!!
--- मनीष :)
कुछ शब्द गढ़े हम भावों के,
प्रेम के हो अरमानो के कुछ,
लफ्ज़ बहें कुछ आहों के,
कहते-सुनते यूँ ही हँसते,
काटें चुन ले सब राहों के,
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ,
जी लें यूँ ही कुछ पल यादों के...!!
--- मनीष :)