अभिव्यक्ति...
...शब्दों में संवेदना की !
सादर अभिनन्दन...
सादर अभिनन्दन...
Sunday, October 23, 2011
बहुत जी चुके...
सोचता हूँ घर एक बना ही लिया जाय,
बहुत जी चुके है खानाबदोश की तरह...
2 comments:
विभूति"
25 October 2011 at 08:49
bhaut khub...
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मनीष
25 October 2011 at 10:15
शुक्रिया... बहुत बहुत शुक्रिया
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bhaut khub...
ReplyDeleteशुक्रिया... बहुत बहुत शुक्रिया
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