Tuesday, October 25, 2011
Monday, October 24, 2011
गाँव हूँ मैं...
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"गाँव रोमांटिक है
ट्रेन की खिड़की से मगर...
हकीकत के कागज पर
तस्वीर कुछ अलग ही है...
पधारो, आओ..."
आओ खींचो तस्वीरें,
लिखो खुद के अल्फाजों को...
मेरी नियति है बस
गाँव हूँ मैं तुम्हारा शहर नहीं...
पिछड़ा हूँ पर मरा नहीं,
तुम्हारी तरह..."
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"गाँव रोमांटिक है
ट्रेन की खिड़की से मगर...
हकीकत के कागज पर
तस्वीर कुछ अलग ही है...
पधारो, आओ..."
आओ खींचो तस्वीरें,
लिखो खुद के अल्फाजों को...
मेरी नियति है बस
गाँव हूँ मैं तुम्हारा शहर नहीं...
पिछड़ा हूँ पर मरा नहीं,
तुम्हारी तरह..."
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Sunday, October 23, 2011
Saturday, October 08, 2011
Saturday, October 01, 2011
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